बांका

शिक्षा व्यवस्था का हाल, साधन-संशाधन के बावजूद स्कूल जाने से कतरा रहे है बच्चे

अंग भारत/शंभूगंज (बांका) सरकार सरकारी विद्यालयों में शिक्षा व्यवस्था को दुरूस्त करने में लगी है। बेपटरी हो रहे शिक्षा व्यवस्था को विभाग के अपर सचिव केके पाठक ने काफी हद तक पटरी पर लाने का काम किया है। इसके बावजूद प्रखंड में व्यवस्था बदहाल है। शिक्षक विद्यालय में ड्यूटी तो कर रहे हैं, लेकिन बच्चों की उपस्थिति में बढ़ोतरी नहीं है। गांव के बच्चे, खेल-कूद, मछली पकड़ने और धन कटनी करने में मग्न हैं। इस क्रम में मंगलवार को केशेपुर महादलित बस्ती के समीप कई बच्चे पठन-पाठन छोड़ सड़क किनारे डांड में मछली पकड़ते देखा गया। इन बच्चों को न तो ठंडे पानी में सर्दी-जुकाम होने की चिता और न ही झाड़-झड़ी में सर्प-बिच्छुओं का भय। वहीं, गुलशन दास, आयुष दास, सोनू कुमार सहित कई बच्चों ने बताया कि विद्यालय में पढ़ाई-लिखाई नहीं के बराबर होता है। एमडीएम भी दीपावली के पहले से बंद है। ऐसे में घर के लिए कुछ भोजन का जुगाड़ कर रहे हैं, तो कोई हर्ज की बात नहीं है। गांव के कई अविभावकों ने बताया कि पहले बच्चे उत्सुकता से विद्यालय जाते थे, लेकिन दीपावली के बाद विद्यालय जाने से कतरा रहे हैं। वार्ड सदस्य पिटू दास ने बताया कि गांव के सामुदायिक चौपाल पर लगभग प्रत्येक दिन बच्चों के साथ अविभावकों को समय पर विद्यालय जाने की बात करते हैं। इसके बाद भी असर नहीं पड़ रहा है। यह हाल सिर्फ केशेपुर महादलित बस्ती में ही नहीं, बल्कि करंजा मुसहरी बस्ती, मेहरपुर इत्यादि अन्य गांवों की है। करंजा मुसहरी टोला में तो 8० प्रतिशत आबादी निरक्षर हैं। इस संबंध में आदर्श मध्य विद्यालय के प्रधान सह डीडीओ रघुनंदन प्रसाद सिह ने बताया कि बच्चों में शिक्षा का ललक जगाने की जिम्मेवारी जितनी शिक्षकों की है, उससे कहीं अधिक अविभावकों में होनी चाहिए। यदि साक्षर भारत को मजबूत करना है, तो अविभावकों को जागरूक होना पड़ेगा।

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