भागलपुर

टीएमबीयू के 48वें दीक्षांत समारोह में कुलाधिपति ने दी छात्रों को डिग्री

भागलपुर अंगभारत।    तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय में शुक्रवार को 48वें दीक्षांत समारोह का आयोजन किया गया। समारोह की अध्यक्षता बिहार के राज्यपाल सह कुलाधिपति आरिफ मोहम्मद खां ने किया। उन्होंने सभी गोल्ड मेडलिस्ट छात्रों को अपने हाथों से डिग्री प्रदान की। इसके पहले उन्होंने अमर शहीद तिलका मांझी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें नमन किया।
टीएमबीयू के कुलपति प्रो. जवाहर लाल ने कुलाधिपति को अंग वस्त्र, मंजूषा पेंटिंग, स्मृति चिन्ह एवं औषधीय पौधा भेंट कर सम्मानित किया। कुलाधिपति के साथ आए राजभवन के प्रधान सचिव रॉबर्ट एल चोंगथू का भी सम्मान किया गया।
मंच संचालन टीएनबी कॉलेज के प्रो. मनोज कुमार, मारवाड़ी कॉलेज के प्रो. अनिल तिवारी ने किया। वहीं पीजी संगीत विभाग के छात्र-छात्राओं ने कुलगीत एवं राष्ट्रगान की प्रस्तुति दी। समारोह का शुभारंभ कुलगीत गायन से हुआ एवं समारोह का समापन राष्ट्रगान के साथ किया गया। इस अवसर पर कुलपति ने कुलाधिपति के स्वागत में स्वागत भाषण पढ़ा।इसके बाद कुलाधिपति द्वारा विशिष्ट उपलब्धि प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं को विशिष्ट मेडल प्रदान कर सम्मानित किया गया। इसके साथ ही कुलाधिपति ने छात्र-छात्राओं को डिग्रियां भी प्रदान की। इस मौके पर पूर्व निर्धारित नियमानुसार छात्र-छात्राएं निर्धारित विशिष्ट परिधान में पंडाल में मौजूद थे।
कुलाधिपति ने छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि आज आपको उपाधि प्राप्त हुई है और बहुत से छात्रों को उनके विशेष उपलब्धियां के लिए सम्मानित भी किया गया है। मैं आपको, आपके अभिभावकों, गुरुजनों और खासतौर पर आपके माता-पिता को बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं देता हूं। कहा कि जैसे पक्षी के बच्चे होते हैं, और वे उस समय तक घोसले में रहते हैं जब तक उनके पंख पूरी तरह विकसित नहीं हो जाते हैं और पंख विकसित हो जाने के बाद खुला आसमान होता है। उसी तरह डिग्री लेने के बाद आप जब व्यवहारिक जीवन में जाते हैं तो आपके लिए खुला मैदान होता है। आप खूब सफल हों। आपकी उपलब्धियां हो। आप अपने लिए, परिवार के लिए और देश के लिए हितकारी और कल्याणकारी भूमिका अदा करें। ऐसी मैं आपको शुभकामनाएं देता हूं। ध्यान रखिएगा, कि भारतीय संस्कृति ज्ञान की संस्कृति है क्योंकि दुनिया में इसकी पहचान ज्ञान की संस्कृति के रूप में रही है। इस संस्कृति में ज्ञान का उद्देश्य बताया गया है। उन्होंने अपने लगभग 20 मिनट के भाषण में करीब चार बार संस्कृत के श्लोकों का उल्लेख किया। उन्होंने श्रीमद् भागवत गीता से भी कुछ पंक्तियों को उद्धृत करते हुए अपनी बातें रखी।उन्होंने कहा : ” एक जन्म हमारे मां-बाप के द्वारा होता है और दूसरा जन्म शिक्षा, ज्ञान, विद्या के माध्यम से होता है। छोटे बच्चों के रूप में हमारी संवेदनशीलता, हमारी करुणा का दायरा सीमित होता है लेकिन ज्ञान अर्जन के बाद हमें यह पता चलता है कि जिन्होंने हमें जन्म दिया है केवल वे ही हमारे परिवार नहीं है बल्कि हमारे विस्तारित परिवार हैं। हमारी करुणा सबके प्रति, पूरी मानवता के प्रति विस्तारित होनी चाहिए। हमारी संस्कृति आत्मा से परिभाषित है। हमारे यहां जी-20 का सम्मेलन आयोजित हुआ था। हमारा एक पुराना श्लोक है। उसके दो-तीन शब्दों का प्रयोग वहां किया गया था जिसमें कहा गया है कि अयम निजो लघु चेतराम …
यह हमारी संस्कृति की बुनियाद है। बुनियादी शिक्षा है की आपको सबके प्रति उदार होना चाहिए। श्रीमद्भागवत गीता में बहुत सुंदर शब्द कहा गया है। सहृदयम सर्वांनी भूतानी अर्थात हमारे दिल में सबके लिए आदर, सम्मान एवं स्वीकार्यता का भाव, अपनापन का भाव पैदा करना पड़ेगा। यही शिक्षा का मकसद है।आगे उन्होंने कहा : ” दूसरा जन्म किसके लिए। भारतीय परंपरा ज्ञान की है, चाहे आप जिस क्षेत्र में विद्यार्जन करें । लेकिन जब आप गौर करेंगे तो आपको वह ज्ञान आत्मज्ञान की ओर ले जाएगा। और आत्मज्ञान क्या है। हम सब के अंदर आत्मा के रूप में परमात्मा निवास करता है, यही आत्मज्ञान है। हमारे बीच कोई रिश्तेदारी का संबंध सीधे सीधे हो या नहीं, यह उससे भी बड़ा संबंध है। यदि यह संबंध हम महसूस करेंगे तो हमारे हृदय में दया और करुणा का भाव सबके लिए पैदा होगा। मैं जिस परिवार, जिस जाति, जिस संप्रदाय में पैदा होता हूं लेकिन अगर विद्या प्राप्ति के बाद भी जाति या संप्रदाय हमारी पहचान बनती है तो विद्या प्राप्त करने का कोई फायदा नहीं है। सारे इंसानों की एक ही जाति है। यह कहां से पता चलता है। जब हम ज्ञान प्राप्त करते हैं। तब यह पता चलता है। मुझे विश्वास है कि आपका विश्वविद्यालय अथॉरिटी इस बात का ध्यान रखती है। नई शिक्षा नीति में इस बात का ध्यान रखा गया है। उन्होंने कहा कि विद्या प्राप्ति के बाद आप में यह क्षमता आनी चाहिए कि आप केवल नौकरी नहीं बल्कि कोई भी सम्मानजनक तरीके से अपनी आजीविका की व्यवस्था करें और दूसरों को भी उसकी आजीविका की व्यवस्था करने में मदद कर सकें।
दीक्षांत समारोह में कुलाधिपति सहित अतिथियों का स्वागत और प्रगति प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए टीएमबीयू के कुलपति प्रो. जवाहर लाल ने कहा कितिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, शोध और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए दृढ़ संकल्पित है। इस दिशा में विश्वविद्यालय का बॉटनी, फिजिक्स और जूलॉजी विभाग द्वारा सराहनीय कार्य किए गए हैं। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा एवं नवाचार को बढ़ावा देने के लिए विश्वविद्यालय द्वारा देश के प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों के अतिरिक्त विदेशी शिक्षण संस्थानों के साथ स्टूडेंट एक्सचेंज, फैकल्टी एक्सचेंज, कल्चरल एक्सचेंज और ज्वाइंट रिसर्च के क्षेत्र में महत्वपूर्ण एमओयू किए गए हैं। यहां के छात्रों ने खेलकूद और सांस्कृतिक गतिविधियों में भी काफी उत्कृष्ट प्रदर्शन किए हैं। कुलाधिपति का स्वागत करते हुए कुलपति ने कहा कि आपके संकल्प और कर्मयोगी जीवन हम सभी के लिए न केवल अवलोकनीय है बल्कि अनुकरणीय और प्रेरणादायक भी है। आपका जीवन सादगी और आत्मीयता के साथ संघर्ष, साहस और राष्ट्र के प्रति समर्पण का जीवंत मिसाल है।दीक्षांत समारोह में कुल 5103 छात्र छात्राओं को उपाधि प्रदान की गई। जिसमें से 248 छात्र पीएचडी धारकों को उपाधि दी गई। वहीं 150 छात्र छात्राओं को परीक्षा में प्रथम श्रेणी में प्रथम स्थान प्राप्त करने के लिए स्वर्ण पदक प्रदान किए गए एवं उन्हीं डेढ़ सौ छात्रों में से 32 छात्र छात्राओं को स्मृति स्वर्ण पदक दिया गया।विश्वविद्यालय के स्थापना काल से लेकर अभी तक इतने वृहत पैमाने परछात्रों को दीक्षांत समारोह में डिग्री दी गई।
कुलपति ने अपने संबोधन में विश्वविद्यालय की भावी योजनाओं को भी गिनाया। जिसमें मुख्य रूप से टीएमबीयू के प्रशासनिक भवन परिसर में अमर शहीद तिलकामांझी की प्रतिमा स्थापित करने एवं माननीय राष्ट्रपति के हाथों अनावरण कराया जाना, बीएससी इन सेरीकल्चर, डिजास्टर मैनेजमेंट, योगा, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एंड मशीन लर्निंग आदि पाठ्यक्रमों की पढ़ाई शुरू कराने, एनईपी 2020 के क्रियान्वयन के तहत विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय स्तर पर स्व वित्त पोषित रोजगारोन्मुखी पाठ्यक्रम शुरू कराए जाने की योजना है।
कुलपति प्रो. जवाहर लाल ने कहा कि अब तक 68 छात्र दरबार का आयोजन कर 12543 छात्रों को डिग्री दी जा चुकी है जो विश्वविद्यालय के लिए गौरव की बात है।समारोह के आयोजन के प्रारंभ में एकेडमिक प्रोसेशन निकाला गया जिसमें कुलाधिपति भी शामिल हुए।

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