बिहार सरकार के वन पर्यावरण मंत्री सुनील कुमार ने मंदार पर्वत स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर का किया निरीक्षण
बांका,अंगभारत। बिहार सरकार के वन पर्यावरण मंत्री सुनील कुमार ने बांका जिले के ऐतिहासिक मंदार क्षेत्र का दौरा किया। मंदार की तलहटी स्थित पावन लक्ष्मी नारायण मंदिर में विधिपूर्वक पूजा-अर्चना कर उन्होंने क्षेत्र की धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत के प्रति अपनी आस्था व्यक्त की। जिसके बाद मंत्री सुनील कुमार ने पूर्व में बिहार के तत्कालीन राज्यपाल राजेंद्र अरलेकर एवं केंद्रीय राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे द्बारा शिलान्यास किए गए मंदार काशी विश्वनाथ मंदिर का निरीक्षण किया। मंदिर निर्माण कार्य की प्रगति का जायजा लेते हुए उन्होंने कार्य में तीव्रता लाने की आवश्यकता पर बल दिया। मंत्री ने क्षेत्रवासियों से अपील की कि वे आगामी दिनों में आयोजित होने वाली विशाल कार सेवा की तैयारी करें। उन्होंने घोषणा की कि वे स्वयं भी कार सेवा में सम्मिलित होकर मंदिर निर्माण में सहभागी बनेंगे। पापहरनी सरोवर से मंदार के शिखर तक की दूरी पैदल ही पूरी की। मौके पर काशी विश्वनाथ मंदिर निर्माण समिति के सचिव देवाशीष उर्फ़ निप्पू पांडेय ,राहुल डोकनियां,सहित स्थानीय श्रद्धालु उपस्थित रहे।मंदार आगमन अवसर पर मंत्री सुनील कुमार ने वन एवं पर्यावरण विभाग के जिला एवं राज्यस्तरीय अधिकारियों के साथ वृक्षारोपण कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया। साथ ही नर्सरी का भी निरीक्षण किया। इसके साथ ही उन्होंने समीक्षात्मक बैठक कर बांका जिले में संचालित वन एवं पर्यावरण कार्यों की समीक्षा की तथा सभी परियोजनाओं को गति देने के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश दिया। बांका वन प्रमंडल द्बारा आयोजित वानिकी किसान पर्यावरण मित्र व जीविका दीदियों के साथ बैठक कर राज्य में हरित क्षेत्र बढ़ाने के उद्देश्य से समाज में जन जागरण करने का आग्रह किया। जिसके बाद समुखिया के सुपहा स्थित नर्सरी का भी मंत्री सुनील कुमार ने निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान नर्सरी में पौधों की गुणवत्ता, रखरखाव की स्थिति और वृक्षारोपण कार्यक्रमों की प्रगति की समीक्षा की गई। नर्सरी के कर्मचारियों को दिशा-निर्देश दिया कि पौधों की उचित देखभाल सुनिश्चित की जाए और पौधारोपण में तेजी लाई जाए। साथ ही विभिन्न प्रजातियों के पौधों के संरक्षण व संवर्धन पर विशेष बल दिया जाए। उन्होंने कहा पौधों का संरक्षण अति आवश्यक है। किसी भी प्रकार से पौघा बर्बाद न हो इसका विशेष ध्यान रखा जाय।