अठमाहा बांध पोखर की खुदाई में मिले पुराने अवशेष, ग्रामीणों में खुशी का माहौल
अमरपुर/बांका अंगभारत ।अमरपुर प्रखंड के गोरगम्मा पंचायत अन्तर्गत अठमाहा गांव स्थित अठमाहा बांध पोखर की खुदाई के दौरान 18 ईंच की पुराने ईंट की दीवार तथा मृदभांड के छोटे-छोटे टुकड़े मिलने से ग्रामीणों में खुशी का माहौल बन गई। मौके पर ग्रामीण विकास सिह गुलटी, भास्कर कांत झा, प्रभाकर सिह, जोगेश सिह, राघवेंद्र सिह, जयकृष्ण सिह, जयप्रकाश सिह आदी ने बताया कि विगत 13 मार्च 2०25 को हर खेत सिचाई के पानी योजना अन्तर्गत लघु जल संसाधन विभाग के नेतृत्व में 1करोड़ छत्तीस लाख 9० हजार 64० रूपैये की लागत से पोखर खुदाई कार्य की शुरुआत की गई। करीब चार से पांच फीट गड्ढा होने के बाद जमीन के गर्भ से 18 ईंच लम्बी तथा डेढ़ फीट मोटे पुराने ईंट की दीवार मिली। संवेदक के मुंशी द्बारा आनन-फानन में ईंट की दीवार को क्षतिग्रस्त कर दिया लेकिन फिर भी पुरी दीवार को क्षतिग्रस्त नहीं कर पाया। कार्य स्थल पर मिले मृदभांड के छोटे-छोटे टुकड़े इस बात को प्रमाणित करता है कि उक्त स्थल पर पौराणिक अवशेष मिलने की प्रबल संभावना हो सकती है। ग्रामीणों ने बताया कि उनके पुर्वजो के अनुसार उक्त पोखर के समीप मां चंद्रिका देवी का वास था जिस जगह वर्तमान में भव्य मंदिर का निर्माण कार्य चल रही है। पुराने मान्यताओं के अनुसार गांव में अगर किसी के घर शादी विवाह या अन्य तरह के फंक्शन होने पर घर के मुखिया पोखर किनारे आकर शादी विवाह के लिए बर्तन की मांग करते थे। दुसरे दिन मांग किये गये सारे बर्तन नदी किनारे पड़ा मिल जाता था जिसे ग्रामीण उपयोग कर दुसरे दिन पोखर किनारे रख देते थे। किसी ग्रामीण ने लालच में आकर बर्तन वापस नहीं किया तो पोखर से मिलने वाली बर्तन की परम्परा समाप्त हो गई। विदित हो कि पुर्व में सन् 2०13 ई. में अठमाहा गांव से एक किलोमीटर की दुरी पर अवस्थित कजरा गांव में मृदभांड के अंश मिले थे तथा कजरा पहाड़ी पर समुद्र होने के निशान मिले थे। छठ पर्व के दौरान सन 2०2० में भदरिया गांव में मिले अवशेष, सुलतानपुर गांव में मिले अवशेष इस बात को पुरी तरह से पुख्ता करती है कि अमरपुर प्रखंड के कई हिस्सो में पौरातत्विक प्रमाण का रहस्य छिपे हुए हैं। बीते सप्ताह के रविवार को अमरपुर शहर में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान पटना के आईपीएस आईजी विकास वैभव ने भी कहा था कि बांका जिले के विभिन्न हिस्सो में ऐतिहासिक धरोहर दफन है जिसे संरक्षण करने की आवश्यकता है। अठमाहा गांव में मिले अवशेषो को पुरातत्व के जानकार सतीश कुमार ने कुषाण काल के होने का अनुमान लगाया है। मौके पर ग्रामीणों ने कार्यस्थल पर मौजूद संवेदक के मुंशी रूपाराम को अवशेष स्थल पर फिलवक्त रोक लगाने की बात कही है।