सहरसा

मनाई गई महर्षि मेँहीँ परमहंस जी महाराज की पावन जयंती

सुपौल, अंग भारत। परम संत महर्षि मेँहीँ परमहंस जी महाराज की पावन जयंती रविवार को संतमत सत्संग मंदिर में अत्यंत श्रद्धा और भव्यता के साथ मनाई गई। इस अवसर पर प्रभात फ़ेरी, सत्संग और भंडारा सहित अनेक आध्यात्मिक कार्यक्रम आयोजित किए गए। महर्षि मेंहीँ परमहंस जी महाराज ने संतमत के माध्यम से यह संदेश दिया कि ईश्वर एक है और वह हमारे अंदर ही विद्यमान है। उन्होंने सभी धर्मों की एकता, मानवता और अंतर्मुखी साधना को ही मोक्ष का मार्ग बताया। उन्होंने कहा कि सभी बाह्य पंथ, आडंबर और भेदभाव समाज द्बारा गढ़े गए हैं, जबकि आत्मा की यात्रा अंतर्मुखी और समान रूप से सबके लिए सुलभ है।उनके जीवन और संदेश को देखते हुए अखिल भारतीय संतमत सत्संग महासभा के सदस्य सह जिला सहायक मंत्री डॉ अमन कुमार व डॉ राजा राम गुप्ता ने बिहार सरकार और भारत सरकार से मांग करते हुए कहा कि प्रत्येक वर्ष वैशाख शुक्ल चतुर्दशी महर्षि मेंहीँ परमहंस जी महाराज की जयंती को राजकीय अवकाश के रूप में घोषित किया जाए और उनके सिद्धांतों को शिक्षा-पाठ्यक्रम में भी शामिल किया जाए ताकि भावी पीढ़ी एक उच्च आध्यात्मिक और नैतिक समाज का निर्माण कर सके। स्थानीय सत्संग मंदिर के मंत्री वासुदेव चौधरी एवं राजीव कुमार ने कहा कि धर्म प्रेमियों, आध्यात्मिक साधकों और आम नागरिकों के लिए सत्संग भवन हमेशा खुला रहता है। आयोजन समिति ने सभी से अनुरोध किया है कि वे परिवार सहित उपस्थित होकर इस आध्यात्मिक पर्व में सहभागी बने।जयंती कार्यक्रम में नारायण पोद्दार, शंकर चौधरी, ई.अशोक चौधरी, नरेश कुमार, संतोष साह , छाया दीदी, संदीप कुमार, विपिन कुमार, सियाराम दास, आजाद बाबा, धर्मेन्द्र कुमार, दिनेश यादव, देव नारायण मंडल, तारा सिह, बिदु देवी आदि उपस्थित थे।

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