रजौन

अखंड सौभाग्य व सुख-समृद्धि की मंगलकामना के साथ सुहागिन महिलाओं ने की वट सावित्री पूजा

रजौन/बांका, अंग भारत।  ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाए जाने वाले प्रकृति व मानव के अटूट बंधन, अखंड सौभाग्य की वृद्धि एवं पतिव्रत के संस्कारों का प्रतीक वट सावित्री पूजा सोमवार 26 मई को धूमधाम से मनाई गई। बता दें कि अपने पति की दीर्घायु एवं अपने परिवार की सुख-समृद्धि की मंगलकामना के लिए सुहागिन महिलाएं प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ माह के अमावस्या की तिथि को निर्जला व्रत कर वट वृक्ष की पूजा करती हैं तथा इसके बाद ही व्रती महिलाएं व्रत पारण करती हैं। मान्यता है कि ज्येष्ठ माह के अमावस्या पर यमराज ने देवी सावित्री के पतिव्रता धर्म और उनके दृढ़ संकल्प को देखकर बरगद (वट वृक्ष) के नीचे ही देवी सावित्री के पति सत्यवान के प्राण लौटाए थे। वट सावित्री पूजा को लेकर सोमवार को प्रखंड क्षेत्र के सभी स्थानों पर स्थित छोटे-बड़े वट वृक्षों के समीप व्रती सुहागिन महिलाओं की दिनभर जमघट लगी रही। इस दौरान 16 श्रृंगार कर सजी-धजी व्रति महिलाओं में काफी हर्षोल्लास व उत्साह देखी जा रही थी। वट सावित्री पूजा को लेकर व्रती महिलाओं ने अपने आसपास के मंदिरों एवं वट वृक्षों के समीप पहुंचकर अपने पति की दीर्घायु व मंगलकामना के साथ-साथ सपरिवार की सुख-समृद्धि के लिए सुसज्जित बांस के डलिया, पंखा, धूप, दीप, अगरबत्ती, कच्चा धागा, विभिन्न तरह के फल-फूल एवं पुआ-पकवान सहित अन्य पूजन सामग्रियों के साथ पूरी नेम-निष्ठा व श्रद्धापूर्वक पूजा-अर्चना की। इस दौरान व्रती महिलाओं ने अपने पति की लंबी उम्र की कामना के लिए वट सावित्री व्रत कथा का भी पठन एवं श्रवण किया। वट सावित्री व्रत को लेकर रजौन थाना मार्ग स्थित राजवनेश्वरनाथ महादेव मंदिर सह ऐतिहासिक शुजा शिकार तालाब के तट पर अवस्थित वट वृक्ष, पुराने प्रखंड मुख्यालय सह अंचल कार्यालय के निकट स्थित पीपल वृक्ष, भागलपुर-हंसडीहा मुख्य सड़क मार्ग पर अवस्थित बद्रीनारायण धाम कुटिया स्थित वट वृक्ष, मां पंचवटी कल्याणी आश्रम लकड़ा काली मंदिर स्थित अति प्राचीन विशाल वट वृक्ष, पुनसिया बस्ती स्थित भूआसन पोखर, कोतवाली, नवादा, महिशाचंदा, दर्जीकिता, गोपालपुर, सिंहनान, राजावर, खिड्डी, खैरा, बेला, संझा-श्यामपुर, पड़घड़ी, महादा, मालती, मोरामा, बनगांव सहित प्रखंड क्षेत्र के सभी ग्रामीण इलाकों में वट वृक्ष या पीपल वृक्ष के समीप सुबह से लेकर शाम तक पूजा-अर्चना के लिए व्रती महिलाओं की जमघट लगी रही।

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