आदिवासियों को छलने और उनके वोटो में सेंधमारी का प्रयास है कांग्रेस की सरना धर्म कोड की मांग : झारखंड क्रांति सेना
दुमका,अंग भारत। राजधानी रांची में झारखंड कांग्रेस द्वारा आदिवासियों के लिए अलग धर्म कोड की मांग को लेकर एक दिवसीय धरना प्रदर्शन कार्यक्रम का आयोजन किया गया हैं| इस विषय में झारखंड क्रांति सेना के महासचिव निखिल मुर्मू ने कहा कि यह झारखंड कांग्रेस का एक दिखावटी आंदोलन है, आदिवासियों को छलने और उनके वोटो के बीच सेंधमारी करने का एक प्रयास है। इसी कांग्रेस पार्टी ने 1871-72 में ब्रिटिश काल से चली आ रही जनगणना में आदिवासियों को मिले अलग धार्मिक कॉलम ‘tribal religion or anymist’ को अपने शासनकाल और पंडित जवाहरलाल नेहरू के प्रधानमंत्रित्व काल 1961 में एक सोची समझी साजिश के तहत हटाने का काम किया, यह एक प्रकार से आदिवासियों को उनके धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान के साथ बेदखल करना था।
कहा कि एक तरफ कांग्रेस पार्टी ‘सरना धर्म कोड’ की मांग कर रही है तो वहीं दूसरी तरफ उनके गठबंधन के दल झारखंड मुक्ति मोर्चा ने ‘सरना आदिवासी धर्म कोड’ विधेयक को बिना राज्यपाल के अनुमोदन के केंद्र को भेज दिया, इससे यह साफ प्रतीत होता है कि दोनों के बीच इस विषय पर कोई समन्वय या सहमति नहीं है। इसी कांग्रेस पार्टी ने आदिवासियों के लिए अलग झारखंड राज्य मांग का कभी समर्थन नहीं किया था, कई बार आंदोलन को कुचलने का काम कांग्रेस पार्टी ने ही किया था, झारखंड अलग राज्य आंदोलन में हजारों आदिवासी शहीद हो गए लेकिन कांग्रेस ने इसकी सुध कभी नहीं ली, अपने शासनकाल के दौरान आदिवासियों के सबसे बड़ी और ज्यादा बोले जाने वाली संथाली भाषा को कभी तक मान्यता नहीं दी| उसे आठवीं अनुसूची में शामिल नहीं किया, तो आखिर आज किस हैसियत से कांग्रेस पार्टी आदिवासी हितैषी दिखाने का कोशिश कर रही है| आज विपक्ष में रहते हुए कांग्रेस आदिवासियों को ठगने के लिए राजनीतिक क्यों कर रही हैं|
आगे झारखंड क्रांति सेना के केंद्रीय अध्यक्ष अमर मरांडी ने कहा कि कांग्रेस के ही पूर्व के आदिवासी मामलों के मंत्री किशोर चंद्र देव ने आदिवासियों के लिए अलग धर्म कोड को ‘अव्यवहारिक’ बताया और इसे ठुकरा दिया था। कांग्रेस पार्टी ने आदिवासियों के धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान को लेकर विवाद और संकट को जन्म दिया है, उसे अब इस मामले पर राजनीति करने का कोई हक नहीं, आदिवासी इनका असली चेहरे को पहचान चुके है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने आदिवासियों के लिए धर्म कोड का कॉलम हटाकर भोले भाले आदिवासियों का अघोषित तौर पर दूसरे धर्म में विलय कराया, आज इन्हीं के कारण आदिवासियों में धर्मांतरण की संख्या में वृद्धि हुई है| यह पूरे तरीके से कांग्रेस के हिंदूकरण नीति का एक हिस्सा था, जिसका दंश आदिवासी आज तक झेल रहे हैं। श्री मरांडी ने आगे कहा कि झारखंड में इन्हीं के गठबंधन के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने लिखित में 05.01.2023 आदिवासियों के सबसे बड़े धार्मिक स्थल मारांग बुरू को जैनियों के हाथों बेच दिया था, तब कांग्रेस को आदिवासियों के धार्मिक पहचान और अस्मिता की याद क्यों नहीं आयी थी|