बारिश की फुहारों के बीच श्रद्धा ,भक्ति एवं हर्षोल्लास के मनाया गया वट सावित्री पूजा
खगड़िया/अंग भारत। अमर सुहाग का प्रतीक वट सावित्री पूजा सोमवार को बारिश की फुहारों के बीच श्रद्धा, भक्ति एवं हर्षोल्लास के साथ सुहागिन महिलाओं ने मनाया। सुबह से ही वट वृक्ष के नीचे सुहागिन महिलाओं की भीड़ उमड पड़ी। वहीं पारंपरिक गीतों से माहौल भक्ति मय हो उठा। विभिन्न गंगा घाटों पर महिलाएं की भीड़ उमड पड़ी। वट सावित्री पूजन को लेकर महिलाओं ने गंगा में डूबकी लगाई। महिलाएं सोलहों सिंगार करके रंग बिरंगे फूलों से सजी डाली। कई प्रकार के पकवान एवं मिष्ठान, पूजन सामग्री के साथ सप्त धान्य को लेकर वट वृक्ष के नीचे पहुंची । सावित्री एवं सत्यवान का पूजाकर वट वृक्ष के जड में जल अर्पण कर पवित्र सूत के धागे को वट वृक्ष पर लपेटकर सात बार परिक्रमा कर सावित्री व सत्यवान की कथा का श्रवण किया। वहीं इस पूजन को लेकर विभिन्न मंदिरों में महिलाएं की भीड़ काफ़ी देखी गई।नवविवाहिता में इस पर्व को लेकर काफी उत्साह देखा गया। पहली बार पूजन को लेकर विधि वत् तरीके से पूजा अर्चना किया गया। ससुराल पक्ष की ओर से प्राप्त वस्त्र, पूजन की सामग्री, आदि का उपयोग नवविवाहिता ने किया। वट वृक्ष के नीचे दिन भर भक्ति का माहौल बना रहा। कई वट वृक्ष के नीचे पंडितों के द्वारा वैदिक मंत्रोउच्चारण के साथ नवविवाहिता पूजा अर्चना करते हुए दिखीं। वट वृक्ष के समीप उपस्थित महिलाओं ने एक दूसरे को सुहाग दिया। तथा घर में अपने पति से महिलाएं आशीर्वाद प्राप्त कर वट सावित्री व्रत सम्पन्न किया।वट-सावित्री व्रत के दौरान बरगद वृक्ष की विधिवत पूजा की जाती है. सनातन धर्म में बरगद, पीपल आदि वृक्ष जीवनदायिनी माने गये हैं एवं पौराणिक धार्मिक कथाओं में इनसे जुड़े अनेकों किस्से मिलते हैं.वस्तुत: आस्था के इस पेड़ को मानव-जीवन का संरक्षक इसलिए भी माना जाता है कि इस पेड़ की संरचना बिलकुल जीवधारियों जैसी है। इनसे जीव जगत को होने वाले लाभ को विज्ञान भी मान्यता देता है। है। प्रकृति प्रेम व पर्यावरण सुरक्षा का संदेश प्रतिपादित करने हेतु शास्त्रों में वट सावित्री पूजा का एक निश्चित तिथि निर्धारित है।