पटना

महिला सशक्तिकरण की दिशा में ऐतिहासिक कदम,बिहार राज्य जीविका निधि साख सहकारी लिमिटेड का हुआ पंजीकरण

पटना, अंगभारत। बिहार में महिला सशक्तिकरण और सामुदायिक वित्तीय व्यवस्था को नई ऊंचाई देने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल के तहत, “बिहार राज्य जीविका निधि साख सहकारी लिमिटेड, पटना” का औपचारिक रूप से निबंधन (रजिस्ट्रेशन) हुआ । यह राज्य स्तर की एक महिला नेतृत्व वाली साख सहकारी संस्था है, जो जीविका द्वारा प्रोत्साहित की गई है।इस अवसर पर सहकारिता विभाग, बिहार सरकार के सचिव धर्मेन्द्र सिंह एवं रजिस्ट्रार इनायत खान ने संयुक्त रूप से “बिहार राज्य जीविका निधि साख सहकारी लिमिटेड” का निबंधन प्रमाणपत्र जीविका के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी, हिमांशु शर्मा को सौंपा। यह क्षण न केवल जीविका के लिए, बल्कि राज्य की एक करोड़ से अधिक महिला सदस्यों के लिए भी गौरवपूर्ण रहा।“बिहार राज्य जीविका निधि साख सहकारी लिमिटेड” उन संस्थाओं में शामिल हो गई है जो पूर्णतः महिलाओं की भागीदारी द्वारा संचालित और नियंत्रित हैं। इस सहकारी संस्था के गठन के पीछे वर्षों की जमीनी मेहनत, संस्थागत ढांचा विकास, वित्तीय साक्षरता निर्माण और सामुदायिक जागरूकता की मजबूत नींव रही है।राज्य की संकुल स्तरीय संघों (सीएलएफ) ने दीर्घकालीन जमा राशि के रूप में योगदान दिया है। इसके अतिरिक्त, बिहार सरकार द्वारा भी वित्तीय सहायता इस संस्था को उपलब्ध कराई गई है, जिससे कि यह स्वावलंबी एवं सशक्त संस्था बन सके।जीविका निधि का उद्देश्य केवल ऋण देना नहीं है, बल्कि एक ऐसी व्यवस्था तैयार करना है, जो महिला उपयोगकर्ताओं की जरूरतों, उनके कार्य-चक्र, ऋण की समयबद्धता एवं स्थानीय आर्थिक परिदृश्य को ध्यान में रखकर कार्य करे। इस संस्था के माध्यम से ग्रामीण महिलाएं सुगमतापूर्वक ऋण प्राप्त कर सकेंगी, जिससे वे स्थानीय महाजनों के ऊंचे ब्याज दरों से बच सकेंगी।बिहार राज्य जीविका निधि साख सहकारी लिमिटेड” के गठन से यह स्पष्ट है कि अब बिहार की ग्रामीण महिलाएं केवल आर्थिक सहायता प्राप्त करने वाली इकाई नहीं रह गई हैं, बल्कि वे वित्तीय संस्थाओं की संरचना, संचालन और नीति निर्माण की मुख्य धुरी बन चुकी हैं। यह संस्था न केवल उन्हें तत्कालीन ऋण आवश्यकताओं की पूर्ति में सहयोग करेगी, बल्कि दीर्घकालिक आर्थिक आत्मनिर्भरता और समृद्धि की राह भी प्रशस्त करेगी।यह पहल आने वाले वर्षों में एक मॉडल के रूप में स्थापित हो सकती है, जो दिखाएगा कि कैसे समुदाय आधारित, महिला नेतृत्व वाली वित्तीय व्यवस्थाएं ग्रामीण भारत के सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य को बदल सकती हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *