धोरैया

बालू के अंधाधुंध दोहन से गेरुवा नदी तोड़ रही है दम,नदी किनारे के गांव में भी 50 फीट बाद मिलती है पानी 

धोरैया/बांका अंगभारत|  प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत किसानों के लिए लाइफ लाइन कहीं जाने वाली गेरुवा नदी अब दम तोड़ते हुए दिखाई दे रही है। नदी के सूख जाने की वजह से किसानों को सिंचाई के लिए काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। गेरूवा नदी सूखने का वजह दो दशक से बाढ़ का नहीं आना और बे रोक टोक नदी से अत्यधिक बालू का उत्खनन। बालू का अत्यधिक उठाओ से पानी का लेयर 40- 60 फीट के बाद दिखाई देता है। जबकि एक दशक पहले 20 से 25 फीट पर पानी का लेयर रहता था। मतलब साफ है कि बालू की मात्रा और नदी के बहाव की गति के अनुसार पानी वापस दिखाई देगा। एक तरफ जहां अत्यधिक बालू निकालने से पानी की गुणवत्ता में भी गिरावट आई है, तो दूसरी तरफ नदी सूखने से जलीय जीव भी विलीन हो रहे है। इस ओर अगर माननीयो और जिला प्रशासन का ध्यान आकृष्ट हो तो क्षेत्र के किसानों को काफी सहूलियत होगी। कुछ महानुभव ऐसे भी हैं जिन्हें दिखता तो सब कुछ है लेकिन लेकिन उनकी लाचारी ऐसी है कि धृतराष्ट्र की भूमिका निभाने को मजबूर है। सिंचाई की समुचित व्यवस्था नहीं रहने से इलाके के किसान अपनी खेती भगवान भरोसे ही करते हैं। क्षेत्र वासियों का कहना है कि नदियों से बालू के अंधाधुंध दोहन के कारण ऐसी नौबत आई है। गेरुवा नदी में पानी सूखना भविष्य के लिए खतरे की घंटी है। फिलहाल नदी किनारे के बसे पैर, पसाना, मोटंगा, लहौरिया, सादपुर आदि गांव में 40 से 60 फीट की गहराई में जल उपलब्ध है लेकिन स्थिति इसी तरह बिगड़ती चली गई तो जल स्तर भी नीचे खिसकता चला जाएगा और आने वाले कुछ सालों में लोग पीने के पानी को भी तरसेंगे।

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