नई दिल्ली

भारतीय वायु सेना ने किडनी और कॉर्निया को एयरलिफ्ट करके पहुंचाया दिल्ली

नई दिल्ली,अंग भारत। बेंगलुरु में ब्रेन डेड मरीज के अंगों से पांच लोगों की जान बचाने में भारतीय वायु सेना ने अहम भूमिका निभाई है। वायु सेना ने बेंगलुरु से दिल्ली तक एक किडनी और कॉर्निया को हवाई मार्ग से पहुंचाया, जिनका सैन्य अस्पताल में दो मरीजों को प्रत्यारोपित करके उनके जीवन की रक्षा की जा सकी। इसके अलावा तीन अंगों से बेंगलुरु में तीन मरीजों की जान बचाई गई। इस मिशन में कई अस्पताल और कर्नाटक की संस्था `जीव सार्थक’ शामिल थी, जिसने चिकित्सा समुदाय के समर्पण और विशेषज्ञता को प्रदर्शित किया।
दरअसल, बेंगलुरु के एक अस्पताल में शुक्रवार को एक मरीज को ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया। उसके परिजनों ने काम कर रहे अंगों को दान करने के लिए इच्छा जाहिर की। इसके बाद वायु सेना के विमान से एक किडनी और एक कॉर्निया को दिल्ली में आर्मी हॉस्पिटल (रिसर्च एंड रेफरल) में भेजा गया। दूसरी किडनी और कॉर्निया को बेंगलुरु के विक्टोरिया अस्पताल की एक मेडिकल टीम के सहयोग से वायु सेना के बेंगलुरु स्थित कमांड अस्पताल में एक मरीज को प्रत्यारोपित किया गया। इसके अलावा बेंगलुरु के केंगेरी स्थित बीजीएस ग्लेनीगल्स अस्पताल में लिवर को सफलतापूर्वक प्रत्यारोपित किया गया।इस तरह ब्रेन डेड घोषित मरीज के पांच अंग पांच अन्य मरीजों के नए जीवन का स्रोत बन गए। भारतीय वायु सेना ने एक बयान में कहा कि यह निर्बाध ऑपरेशन कर्नाटक की संस्था `जीव सार्थक’ के साथ मिलकर किया गया, जो सशस्त्र बलों के चिकित्सा समुदाय की असाधारण प्रतिबद्धता और चिकित्सा विशेषज्ञता को दर्शाता है। वायु सेना ने एक्स पर समन्वित ऑपरेशन का विवरण और एयरलिफ्ट की तस्वीरें साझा कीं। पोस्ट में कहा गया कि आईएएफ ने आज कमांड हॉस्पिटल एयर फोर्स बैंगलोर (सीएचएएफबी) के माध्यम से विभिन्न स्थानों पर जीवन रक्षक बहु-अंग पुनर्प्राप्ति और महत्वपूर्ण प्रत्यारोपण को सक्षम किया।कर्नाटक सरकार ने राज्य में मृत शरीर से दान में मिले अंगों के प्रत्यारोपण कार्यक्रम के लिए `जीव सार्थक’ संस्था का गठन किया है। यह संस्था 1994 के मानव अंग प्रत्यारोपण अधिनियम के कार्यान्वयन की देखरेख करने के लिए नियुक्त निकाय है। इस संगठन का उद्देश्य मृतक दाता प्रत्यारोपण गतिविधियों का समन्वय करना और अंगदान के बारे में जनता को शिक्षित करना है। संस्था के कार्यों में प्रचार गतिविधियों, सेमिनारों, कार्यशालाओं और शैक्षिक कार्यक्रमों के माध्यम से मृतक दाता (शव) कार्यक्रम में सक्रिय भागीदारी के लिए अस्पतालों को शामिल करना शामिल है। जन जागरुकता कार्यक्रम अस्पतालों, शैक्षणिक संस्थानों, कॉरपोरेट्स और गैर-सरकारी संगठनों के साथ-साथ मीडिया की भागीदारी के माध्यम से होता है।

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