गोड्डा

शिक्षक पात्रता नियमावली में कुड़मालि हेतू डीसी को मांग पत्र सौंपा

गोड्डा,अंगभारत| आज सोमवार को कुड़मालि भाखि चारि आखड़ा संथाल परगना के बैनर तले झारखंड के महामहिम राज्यपाल, मुख्यमंत्री, सचिव स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग, झारखंड और निदेशक, प्राथमिक शिक्षा निदेशालय झारखंड को उपायुक्त गोड्डा के माध्यम से समर्पित आवेदन में उल्लेखित किया गया है कि झारखंड सरकार द्वारा बनाई गई नयी “शिक्षक पात्रता नियमावली 2025” जिसके तहत झारखंड सरकार के स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग द्वारा अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए झारखंड के सभी जिला शिक्षा पदाधिकारी व जिला शिक्षा अधिक्षकों को पत्र जारी किया गया है। जिससे पता चल रहा है कि संथाल परगना के जिलों गोड्डा साहेबगंज पाकुड़ दुमका देवघर व जामताड़ा में कुड़मालि भाषा को शामिल नहीं रखा गया है। जबकि इन सभी जिला में कुड़मालि मातृभाषा वाले कुड़मि समुदाय सदियों से वासरत हैं। पिछले समय वर्ष 2022 में भी झारखंड के जिलास्तरीय बहाली के लिए बनाई गयी नियुक्ति नियमावली में संथाल परगना के सभी छ: जिलों में इसी प्रकार कुड़मालि भाषा को शामिल नहीं रखा गया था। जिसके कारण कुड़मि समुदाय और स्थानीय बुद्धिजीवियों को सड़क पर उतरकर आंदोलन करना पड़ा था, झारखंड विधानसभा में भी इस विषय पर कई माननीय सदस्यों ने कुड़मालि को शामिल रखने की बात रखी थी और कुड़मालि भाषा भाषी लोग का समुह द्वारा झारखंड के तात्कालीन मुख्यमंत्री व वर्तमान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन समेत दर्जनों मंत्री व मननीय सदस्यों को आवेदन दिया और अंततः सरकार ने झारखंड नियुक्ति नियमावली में सुधार कर कुड़मालि समेत प्रमुख भाषाओं को पुरे प्रदेश के सभी जिलों के लिए एक समान मान्य कर इस विवाद को समाप्त किया था। वर्तमान में ठीक वैसा ही परिस्थिति शिक्षक पात्रता नियमावली 2025 में संथाल परगना प्रमंडल के सभी जिला में कुड़मालि को शामिल ना करने के कारण बन गया है और कुड़मालि भाषा भाषियों को उपेक्षित किया गया है जो सरकार द्वारा लिया गया दूर्भाग्य पुर्ण निर्णय है। सरकार के उपरोक्त निर्णय के कारण गैरसरकारी आदिवासी कुड़मि यानि अ अनुसुचित आदिवासी समुदाय कुड़मि जिसके साथ सरकार व सरकारी विभागों और भारत के कई न्यायालयों द्वारा आदिवासी के रूप में आदिकाल से वर्तमान तक व्यवहार किया जा रहा है , के मातृभाषा के साथ खिलवाड़ करने और इस आदिवासी समुदाय को अपनी भाषायी पहचान ( मातृभाषा) से दूर करने का गंभीर प्रयास है जो एक बड़ी सरकारी भुल है। सरकार द्वारा एक जनजाति समुदाय की पहचान को मिटाने का प्रयास से संबंधित है। इसलिए कुड़मि समुदाय व संथाल परगना के तमाम कुड़मालि भाषा भाषी लोग अपने दो सुत्री मांग में शिक्षक पात्रता नियमावली 2025 में संशोधन कर संथालपरगना के सभी जिलों में कुड़मालि (कुरमाली) भाषा को जोड़ने व शिक्षक पात्रता नियमावली 2025 में जितनी भाषाओं को जिलावार चिन्हित किया गया है उन्हें जिलावार निर्धारित ना कर राज्य स्तर पर एक समान रूप से मान्य रखने का मांग रखा है।उपरोक्त दोनों मांग पूर्णतया जायज बताते हुए कुड़मि समुदाय के नेतृत्वकर्ता ने आग्रह किया हैं कि ससमय सुधार किया जाय। जबतक हमारी मांगों पर पहल नहीं किया जाता है तबतक कुड़मि समुदाय व संथाल परगना के कुड़मालि भाषा भाषी लोग चरणबद्ध आंदोलन के लिए बाध्य हैं। आवेदन देने में कुड़मालि भाखि चारि आखड़ा संथाल परगना संयोजक संजीव कुमार महतो, सह संयोजक दिनेश कुमार महतो, किशोर कुमार महतो, गौतम कुमार महतो, प्रेमलता महतो, संजय महतो, उदय महतो, नकुल कुमार महतो, दिलीप कुमार महतो, पंकज महतो, सोनू महतो, दशरथ महतो, संतोष महतो, सोनू कुमार महतो, कमलेश महतो, सुनील कुमार महतो, पिंटू कुमार महतो दर्जनों लोग उपस्थित हुए।

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