सहरसा

बदलाव : गांवों में महिला संवाद से दिखा परिवर्तन का नया चेहरा

सहरसा, अंगभारत| 2 जून 2025 का दिन सहरसा जिले के लिए एक और मील का पत्थर साबित हुआ। इस दिन जिले के 24 गांवों में एक साथ महिला संवाद सत्रों का आयोजन हुआ। सुबह से ही रंग-बिरंगे परिधानों में सजी गांवों की पगडंडियां और महिलाओं की दृढ़ता भरी आवाजें इस बदलाव की कहानी कह रही थी। किशोरियों ने अपने सपनों की परतें खोलकर साझा की, तो बुजुर्ग महिलाओं ने पहली बार अपने जीवन के अनुभवों को कहानियों में पिरोया। इन कहानियों में दर्द भी था, संघर्ष भी, और सबसे अधिक थी स्वीकार्यता, अपनी शक्ति, अपने अधिकारों और अपने भविष्य को गढ़ने की। जिले के गांवों में बदलाव अब केवल एक योजना या घोषणा का हिस्सा नहीं, बल्कि एक जीवंत सच्चाई बन चुका है। यह बदलाव हर सुबह की चाय पर चर्चा, चौपालों की गूंज और महिलाओं के आत्मविश्वास भरे चेहरों में साफ झलकता है। महिला संवाद ने इन गांवों को वह मंच दिया है, जिसकी जरूरत वर्षों से महसूस की जा रही थी। एक ऐसा मंच, जिसने सवाल पूछने, सुझाव देने और अपनी आवाज बुलंद करने का अधिकार महिलाओं को दिलाया है। महिला संवाद ने यह साबित कर दिया है कि जब महिलाएं समाज के केंद्र में होती हैं, तो परिवर्तन केवल संभव ही नहीं, बल्कि अनिवार्य हो जाता है। कभी जहां महिलाओं की आवाजें दब जाया करती थीं, आज वही महिलाएं समाज के केंद्र में खड़ी होकर नेतृत्व कर रही हैं। यह कोई चमत्कार नहीं, बल्कि उस एक सवाल का विस्तार है जिसने इस बदलाव की नींव रखी थी “क्या हम खुलकर बात कर सकते हैं?” इस सवाल का उत्तर आज सहरसा जिले के 1092 ग्राम संगठनों से जुड़ी 2.73 लाख से अधिक महिलाओं के आत्मविश्वास में मिलता है। वे अब किसी आयोजन की दर्शक नहीं, बल्कि उसकी निर्देशक हैं।

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